SHIV CHAISA - AN OVERVIEW

Shiv chaisa - An Overview

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दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

शिव आरती

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

अर्थ: हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

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प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

सहस कमल में more info हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

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